Bilaspur news-"तो क्या जो आज चुनाव मैदान में हैं, वो कल 'विलेन' बन जाएंगे?
शेख असलम की रिपोर्ट,,,
तो क्या जो आज चुनाव मैदान में हैं, वो कल 'विलेन' बन जाएंगे?
कल को उन पर जमीन लाने और योग्य लोगों को जमीन देने दबाव बनेगी? पर जमीन है कहाँ मौजुदा पदाधिकारी कुछ स्पष्ट नही कर रहें है सब कुछ हवा मे ही तैर रहा है....दो साल बाद चुनाव में फिर कोई नई कहानी लेकर आएगा?
मतदाता क्या देखते हैं? कैसे चुने हुए पदाधिकारियों नें सिस्टम को धत्ता बताया? कैसे वो फर्श से अर्थ तक गया। फिर कैसे उसकी पोल खुली। फिर क्या हुआ? इस चुनाव में फिर वही कहानी चर्चा में है। किसी ने कोई अपराध की नहीं। तब तक नया अपराधी खड़ा हो चुका होता है, अपराधी ही तो हैं गद्दी मे बैठे कर रोटी सेकने वाले पदाधिकारी जमीन का जुमला दिखाते जरूरत मंद अभाव ग्रस्त पत्रकार को हमेशा से धोख़ा देते आये है और एक बार फिर धोख़ा देने पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर चुके है स्क्रिप्ट के पीछे छिपी भावनाओं को समझिये और अपने मत का उचित प्रयोग कीजिये.....अब तक मैं उनका मोहरा बना इंतजार कर रहा था कि प्रेस क्लब मे कुछ अच्छा होगा तस्वीर बदलेगी पर अफसोस मेरी भावनाएं तार तार हो गई.....जरूरत मंद तो मैं खुद हूँ और अपने जरूरत मंद साथियो के अभाव ग्रस्तता से वाक़िफ़ हूँ यही वजह है कि चुनाव मैदान में मुझे उतरना पड़ा है आप लोगो के विश्वास के साथ मैं कदम से कदम मिला कर पत्रकार हित में मैं सदैव आपके साथ रहूँगा अगली झूठी कहानी की पटकथा के नायकों से हम जरूरत मंद पत्रकारों को बच कर रहना है।
आज के सबसे अमीर लोग ही गरीब भूमि हीन साथियो को मायूस करने अपने किरदार को कुटिलता से बखूभी निभा चुके है इनसे....बच के रहना है...बच के रहना है...बच के रहना है
ईश्वर न करे ऐसा हो। इस चुनाव में इनका जुमला आपके निरीह भावना मे फिट हो जाए और एक ईमानदार प्रत्याशी को मौका न मिल पाए......लेकिन अगर ऐसा हुआ... तो सबसे ज़्यादा तकलीफ शायद मुझे ही होगी। भरोसा टूटने का अफसोस तो होता ही है। न दोस्तों
आपका अपना भाई
कैलाश यादव
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