Bilaspur news-"करोड़ों खर्च के बाद भी ‘हाल-बेहाल’ शहर का कचरा शहर में ही ढ़ेर,,, समस्या बरकरार,,,
शेख असलम की रिपोर्ट,,,
कछार पहुँचना था… डंप हो रहा जूना बिलासपुर नदी तट पर!
… सफाई व्यवस्था के करोड़ों खर्च के बाद भी ‘हाल-बेहाल’
बिलासपुर -बिलासपुर न्यायधानी जैसे के प्रसिद्ध विसर्जन स्थल जूना बिलासपुर के ठीक बगल में निर्माणाधीन बैराज से सटे नदी तट का हाल किसी खुले कचरा घर जैसा हो गया है। यहाँ के कचरे के ढेर से उठती दुर्गंध और सड़ांध ने आसपास के मोहल्लों में जनस्वास्थ्य के गंभीर खतरे की स्थिति बना दी है। हालात ये हैं कि जगह-जगह फैले सड़े कूड़े पर मवेशी चारा तलाशते दिखाई दे रहे हैं और नदी तट पर कचरे का फैलाव लगातार बढ़ता जा रहा है।कागज़ का टुकड़ा भी नहीं दिखने का दावा… लेकिन यहाँ कचरे के पहाड़!नगर निगम हर माह 9 से 10 करोड़ रुपये सफाई व्यवस्था पर खर्च कर रहा है। बड़े दावे किए गए थे कि दिल्ली की लायन्स सर्विसेज और रामकी एमएस डब्ल्यू सॉल्यूशन कंपनी शहर को कागज़ के एक पुर्जे तक से मुक्त रखेगी।डोर-टू-डोर कचरा संकलन
सेनिटेशन प्वाइंटों से कचरे को कछार भेजना,,,सड़क, मोहल्लों, गलियों को पूर्णतः साफ रखना पर हकीकत इन दावों से उलट है—
घुरुआ के पास रहने वाले स्थानीय लोग बता रहे हैं कि निगम की ही गाड़ियाँ यहाँ कचरा डंप कर रही हैं।
जोन कार्यालय के पास महीनों से कचरा नहीं उठा!सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिस जगह कचरा डंप हो रहा है, वहाँ से कुछ कदम की दूरी पर ही निगम का जोन कार्यालय स्थित है। दावा था कि जोन कार्यालय खोलने से
✔ समस्याओं का त्वरित समाधान होगा
✔ सफाई व्यवस्था पर तत्काल निगरानी होगी,,लेकिन यहाँ महीनों से कचरा नहीं उठा—जो निगम के सभी दावों की पोल खोलता है।बेगारी के आरोप और अफसरों की दलीलें!
सीजीडीएनए ने कई बार खुलासे करते हुए यह मुद्दा उठाया कि
✔ निगम के संसाधन ठेका कंपनियों के लिए बेगारी कर रहे
✔ वाहनों का उपयोग कंपनियों के कार्य में
✔ कचरा परिवहन में नियमों का उल्लंघन,लेकिन अफसरों ने हमेशा एक ही जवाब दिया—
“वो कचरा नहीं, नाली से निकला मलबा है… जो ठेके में शामिल नहीं है।”यह बयान हर बार सवालों से भागने की कोशिश जैसा लगता है।क्या मॉनिटरिंग सिस्टम सिर्फ कागज़ पर?सवाल उठना लाजमी है कि—क्या निगम के पास कचरा प्रबंधन की वास्तविक मॉनिटरिंग व्यवस्था है?अगर है, तो फिर कचरा कछार पहुँचना चाहिए था… नदी तट पर क्यों डंप हो रहा है?क्या नदी तट और जलस्रोतों के पास कचरा डंप करना एनजीटी के निर्देशों का खुला उल्लंघन नहीं है?
क्या सिर्फ एनजीटी का बोर्ड टांगने से जिम्मेदारियों की पूर्ति हो जाती है?नदी तट पर बढ़ते कचरे ने बढ़ाया प्रदूषण, खतरे की घंटी बज चुकी है
जूना बिलासपुर के नदी किनारे का यह दृश्य न केवल शहर की सफाई व्यवस्था का सच उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद सिस्टम में
✘ न जिम्मेदारी है
✘ न पारदर्शिता
✘ न ही वास्तविक निगरानी
शहर के लिए यह स्थिति चेतावनी है कि अगर अब भी प्रशासन और ठेकेदार कंपनियाँ नहीं चेतीं तो आने वाले दिनों में यह क्षेत्र गंभीर पर्यावरणीय संकट झेल सकता है।
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