Bilaspur news-""संवेदनशीलता और दृढ़ता का संतुलन ही एक सच्चे न्यायाधीश की पहचान है": न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा,

शेख असलम की रिपोर्ट,,
"संवेदनशीलता और दृढ़ता का संतुलन ही एक सच्चे न्यायाधीश की पहचान है": न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, 

बिलासपुर -मुख्य न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय आज छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी, बिलासपुर के विवेकानंद सभागार में नव नियुक्त सिविल जज (कनिष्ठ वर्ग) हेतु आयोजित प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम चरण के समापन सत्र का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम मुख्य न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं मुख्य संरक्षक, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा के गरिमामय नेतृत्व में सम्पन्न हुआ। यह प्रशिक्षण 30 जून 2025 से प्रारंभ होकर 26 सितम्बर 2025 को सम्पन्न हुआ। मुख्य न्यायाधिपति. ने प्रभावशाली संबोधन में अपने अमूल्य विचार प्रशिक्षु न्यायाधीशों के साथ साझा किए।
 उन्होंने न्यायिक कार्यप्रणाली में निष्ठा, संवेदनशीलता एवं संवैधानिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के महत्य को रेखांकित किया और युवा न्यायाधीशों को विनम्रता एवं करुणा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए सदैव विधि के विद्यार्थी बने रहने का आह्वान किया। मुख्य न्यायाधिपति महोदय ने कहा कि नागरिकों के लिए न्याय प्राप्ति का पहला संपर्क बिंदु न्यायपालिका में प्रवेश स्तर पर न्यायाधीश होते हैं। पक्षकारो की न्यायपालिका के प्रति धारणा प्रायः न्यायालय में न्यायाधीशों के आचरण से निर्मित होती है। अतः शिष्टाचार, समयनिष्ठा और करुणा को उनके न्यायिक चरित्र का अभिन्न अंग बनना चाहिए। संवेदनशीलता और दृढ़ता का संतुलन ही एक सचे न्यायाधीश की पहचान है। स्मरण रखें, न्यायाधीशों का पहनावा केवल एक वस्त्र नहीं है; यह समाज द्वारा न्यायाधीशो पर जताए गए विश्वास का प्रतीक है। अंत में मुख्य न्यायाधिपति. ने आशा व्यक्त की कि न्यायाधीश अपने पूरे कार्यकाल में विधि के विद्यार्थी बने रहें, क्योंकि विधि निरंतर परिवर्तनशील है। विनम्रता और सीखना आपका मार्गदर्शन करे, नैतिकता और निष्पक्षता न्यायाधीशों का आधार बने तथा संविधान के प्रति समर्पण न्यायाधीशों को प्रेरित करता रहे।इस अवसर पर  श्रीमती न्यायमूर्ति रजनी दुबे, न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय एवं अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। नव नियुक्त सिविल जजों के लिए तीन माह का यह प्रारंभिक प्रशिक्षण कार्यक्रम उन्हें आधारभूत ज्ञान, व्यावहारिक कौशल एवं न्यायिक दृष्टिकोण से सुसञ्जित करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में वैधानिक एवं प्रक्रम संबंधी विधियों, न्यायालयों में तकनीक के उपयोग, नैतिकता एवं समाज के कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता जैसे विविध विषयों को सम्मिलित किया गया। साथ ही, प्रभावी न्यायालय प्रबंधन एवं वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों पर विशेष बल दिया गया। यह कार्यक्रम उनके प्रशिक्षण के प्रथम चरण की समाप्ति का प्रतीक है, जिसके उपरांत अधिकारीगण अपने-अपने पदस्थापनों पर नवीन ऊर्जा, प्रतिबद्धता एवं न्याय के प्रति समर्पण के साथ कार्यभार ग्रहण करेंगे। कार्यक्रम में प्रभारी रजिस्ट्रार जनरल एवं उच्च न्यायालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे। स्वागत उद्बोधन छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी के निदेशक द्वारा तथा आभार प्रदर्शन अतिरिक्त निदेशक द्वारा प्रस्तुत किया गया, जिन्होंने माननीय मुख्य न्यायाधीश,  न्यायाधीश एवं सभी विशिष्ट अतिथियों की गरिमामयी उपस्थिति हेतु कृतज्ञता व्यक्त की।

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